भारत में 20 साल बाद लड़कियों की भारी कमी : बीबीसी
भारत में अगले दो दशकों में 20 फ़ीसदी युवकों को अपने लिए उपयुक्त जीवन साथी नहीं मिल पाएगा. कनाडा के मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार बढ़ते लिंग निर्धारण के कारण भारत और चीन जैसे देशों में युवकों की संख्या में अगले 20 वर्षों के दौरान 10 से 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी और इस असंतुलन का समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. शोध के अनुसार बेटे की चाहत और लिंग के आधार पर गर्भपात के कारण इन देशों में पुरुषों और महिलाओं की संख्या में असंतुलन पैदा हो गया है. जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) मतलब 100 लड़कियों के मुक़ाबले पैदा होने वाले लड़कों की संख्या लंबे समय से 105 बनी हुई है. लिंग का निर्धारण करने वाली तकनीक अल्ट्रासाउंड के विकसित होने के बाद दक्षिण कोरिया के कुछ शहरों में लिंग अनुपात बढ़कर 125 हो गया है और चीन के कुछ प्रांतों में तो ये 130 तक पहुंच गया है. भारत के पंजाब, दिल्ली और गुजरात में लिंग अनुपात 125 तक पहुंच चुका है जबकि केरल और आंध्र प्रदेश में ये अनुपात 105 है. इसका मतलब है कि ...