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ब्रह्मपुत्र की उदारमना बेटी इंदिरा गोस्वामी

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इंदिरा गोस्वामी  मित्रो, २१ अगस्त २०११ को दैनिक हिंदुस्तान में प्रकशित मामोनी रायसम उर्फ़ इंदिरा गोस्वामी पर प्रकाशित मेरा यह लेख पढ़ सकते हैं. शुक्रिया. -शशिकांत  ‘‘इस लड़की के सितारे इतने ख़राब हैं। इसे दो टुकडे़ करके ब्रह्मपुत्र में फेंक दो’ - यह भविष्यवाणी की थी असम के नवग्रह मंदिर के ज्यातिषी ने मामोनी रायसम गोस्वामी उर्फ इंदिरा गोस्वामी की मां से। तब मामोनी एक नवयुवती थीं।  उस ज्यातिषी की भविष्यवाणी को झुठलाकर इंदिरा गोस्वामी आज 68 साल की हैं और भारतीय साहित्य का गौरवशाली व्यक्तित्व बन चुकी हैं। उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार और साहित्य अकादेमी पुरस्कार सहित असम राज्य के सबसे प्रतिष्ठित साहित्य सभा पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। तमाम भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हो चुका है उनका साहित्य।  हालांकि यह भी सच है कि इस खूबसूरत लेखिका की निजी जिंदगी तकलीफ और संघर्षों से भरी रही, बावजूद इसके कि उनका जन्म एक रईस खानदान में हुआ और उनके इर्द-गिर्द ऐशो-आराम की कोई कमी नहीं थी। ‘‘मेरे फोर फादर लैंडलॉर्ड थे और रिलीजियस हेड भी थे। उस वक्त हमारे पास लम्बी इम्पोर्टेड कार ह

मैं अण्णा नहीं बनना चाहूंगी : अरुंधति राय

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 अरुंधति राय मित्रो, अण्णा  हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन के तौर- तरीके को लेकर अरुंधति राय  ने  'द हिन्दू'  ( 21 अगस्त 2011 ) में एक लेख लिखा है. हिन्दी के पाठकों के लिए पेश है  भाई  मनोज पटेल का अनुवाद उनके ब्लॉग 'पढ़ते-पढ़ते' से साभार.   - शशिकांत  अण्णा   के तौर-तरीके भले ही गांधीवादी हों मगर उनकी मांगें निश्चित रूप से गांधीवादी नहीं हैं. जो कुछ भी हम टी.वी. पर देख रहे हैं अगर   वह सचमुच क्रांति है तो हाल फिलहाल यह सबसे शर्मनाक और समझ में न आने वाली   क्रांति होगी. इस समय जन लोकपाल बिल के बारे में आपके जो भी सवाल हों उम्मीद है कि   आपको ये जवाब मिलेंग : किसी एक पर निशान लगा लीजिए - (1.) वन्दे मातरम , (2. ) भारत माता की जय , (3. ) इंडिया इज अन्ना ,  अन्ना इज इंडिया , (4. ) जय हिंद.    आप यह कह सकते हैं कि ,  बिलकुल अलग वजहों से और बिलकुल अलग तरीके से ,  माओवादियों और जन लोकपाल बिल में एक बात सामान्य है. वे दोनों ही भारतीय राज्य को उखाड़ फेंकना चाहते हैं. एक नीचे से ऊपर की ओर   काम करते हुए ,  मुख्यतया सबसे गरीब लोगों से गठित आदिवासी सेना द्वारा छेड़

I'd rather not be Anna : Arundhati Roy (THE HINDU, August 21, 2011)

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Arundhati Roy While his means maybe Gandhian, his demands are certainly not. If what we're watching on TV is indeed a revolution, then it has to be one of the more embarrassing and unintelligible ones of recent times. For now, whatever questions you may have about the Jan Lokpal Bill, here are the answers you're likely to get: tick the box — (a) Vande Mataram (b) Bharat Mata ki Jai (c) India is Anna, Anna is India (d) Jai Hind. For completely different reasons, and in completely different ways, you could say that the Maoists and the Jan Lokpal Bill have one thing in common — they both seek the overthrow of the Indian State. One working from the bottom up, by means of an armed struggle, waged by a largely adivasi army, made up of the poorest of the poor. The other, from the top down, by means of a bloodless Gandhian coup, led by a freshly minted saint, and an army of largely urban, and certainly better off people. (In this one, the Government collaborate