फ्रेंकफर्ट विश्व पुस्तक मेले में उदय प्रकाश
जर्मनी के सुप्रसिद्ध शहर फ्रेंकफर्ट विश्व पुस्तक मेले की वही खासियत है जो फ़िल्म के क्षेत्र में कान फ़िल्म महोत्सव का है। यूरोप में हर साल आयोजित होने वाले इस विश्व पुस्तक मेले के आयोजक पिछले कुछ सालों से एशियाई मुल्कों के लेखन और साहित्य को तवज्जो देने लगे हैं। इसके पीछे की वजह क्या वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में एशिया के दो सबसे बड़े मुल्कों- भारत और चीन के विश्व की प्रमुख आर्थिक ताकतों और बड़े बाज़ार के रूप में उभरना है या सचमुच एशियाई मुल्कों के साहित्यिक लेखन ने गुणवत्ता की वजह से पिछले वर्षों में दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़ आकर्षित करने में सफल रहा है। मालूम हो सन २००७ के फ्रेंकफर्ट विश्व पुस्तक मेले में भारत को गेस्ट आफ आनर बनाकर यहाँ के लेखन को ख़ास तवज्जो दी गई थी। इस साल १४ से १८ अक्टूबर तक आयोजित फ्रेंकफर्ट विश्व पुस्तक मेले में गेस्ट आफ आनर या कहें प्रमुख अतिथि भारत के पड़ोसी देश चीन को बनाया गया. चीन ने पिछली वर्षों में आर्थिक और तकनीकी क्षत्र में जो प्रगति की है उसकी झलक उनके पुस्तक प्रकाशन, मेले में लगे उनके बुक स्टाल और उनके सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रमों में साफ़ तौर पर द...