रिच इकोनोमिक पॉलिसी के खिलाफ हैं अमरीकी
 
   टी.एस.आर. सुब्रह्मण्यम    टी.एस.आर. सुब्रह्मण्यम    (लेखक भारत के पूर्व कैबिनेट सचिव हैं।)   अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में बराक ओबामा की लगातार दूसरी बार जीत से  दो-तीन महत्वपूर्ण बातें उभरकर सामने आई हैं। सबसे पहली बात यह कि अमेरिका  एक ह्वाईट कंट्री है। अमेरिका की कुल आबादी में गोरों की तादाद लगभग चौंसठ प्रतिशत है। जबकि अश्वेत महज बारह फीसद हैं।        लेकिन कास्ट और रेस से  ऊपर उठकर इस बार वहां राष्ट्रपति का चुनाव मूलतः आर्थिक नीति के मुद्दे पर  लड़ा गया। दूसरी बात, बराक ओबामा के खिलाफ चुनाव लड़नेवाले रिपब्लिकन पार्टी  के उम्मीदवार मिट रोमनी बहुत अमीर आदमी हैं।        अमेरिका एक अमीर देश है।  लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बराक ओबामा को लगातार दूसरी बार  राष्ट्रपति चुनाव जिताकर वहां के नागरिकों ने यह साबित कर दिया कि अमेरिकी  नहीं चाहते कि वहां बहुत रिच इकोनोमिक  पॉलिसी लागू हो।  रिपब्लिकन पार्टी और मिट रोमनी ने चुनाव प्रचार के दौरान बराक ओबामा की  आर्थिक नीतियों की लगातार आलोचना की। अमेरिकी राष्ट्रप...
 
 
 
