अन्ना ने भ्रष्टाचार को नैतिक मुद्दे की तरह पेश किया : अरुंधति
अरुंधति रॉय मित्रो, फेहरिस्त लम्बी होती जा रही है, अन्ना हजारे के आन्दोलन को किन्तु-परन्तु के साथ देखनेवालों की. शुद्धाव्रत सेन गुप्ता, शिव विश्वनाथन, बद्री रैना, हर्षमंदर, योगेन्द्र यादव, के एन पणिक्कर, महेश भट्ट, मृणाल पांडे, मस्तराम कपूर....और अब अरुंधति रॉय. जनतांत्रिक आंदोलनों के गठबंधन की ओर से बीते 29 अप्रैल को दिल्ली में आयोजित एक सेमीनार में अरुंधति रॉय के भाषण के संपादित अंश को बीबीसीहिंदीडॉटकॉम ने प्रस्तुत किया है. अरुंधति रॉय का मानना है, "अन्ना हज़ारे और उनकी टीम के समर्थन में जंतर मंतर पहुँचे हज़ारों हज़ार लोगों के सामने भ्रष्टाचार को एक नैतिक मुद्दे की तरह पेश किया गया, एक राजनैतिक या व्यवस्था की कमज़ोरी की तरह नहीं. वहाँ भ्रष्टाचार पैदा करने वाली व्यवस्था को बदलने या उसे तोड़ने का कोई आह्वान नहीं किया गया." पेश है - शशिकांत बीस साल पहले जब उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का दौर हम पर थोपा गया तब हमें बताया गया था कि सार्वजनिक उद्योग और सार्वजनिक संपत्ति में इतना भ्रष्टाचार और इतनी अकर्मण्यता फै...