जनता सरकार से न डरे, सरकार डरे जनता से !

तहरीर चौक (काहिरा) पर सेना के टैंक पर बेख़ौफ़ बैठा एक बच्चा 

मिस्र की राजधानी काहिरा में तहरीर चौक पर एक बैनर पिछले एक हफ़्ते से लगातार लहरा रहा है। उस बैनर पर लिखा है - ‘‘जनता सरकार से न डरे, सरकार डरे जनता से’’

महंगाई, बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार से तबाह-तबाह मिस्र की लाखों जनता ठिठुरती सर्दी के बावजूद पिछले एक हफ़्ते से सड़क पर है।

काहिरा के तहरीर स्क्वायर यानि मुक्ति चैराहे पर उत्सव का माहौल लगता है। प्रदर्शनकारियों में महिलाओं और बच्चों की तादाद भी अच्छी-ख़ासी हैं। मिस्र का झंड़ा, राष्ट्रपति होस्नी मुबारक विरोधी तख्तियाँ और बैनर लिए प्रदर्शनकारी आज़ादी के गीत गा रहे हैं।

मिस्र में लोकतंत्र बहाली की मांग कर रहे हैं। राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के इस्तीफ़े, मिस्र में लोकतंत्र की स्थापना और आम चुनाव की घोषणा उनकी प्रमुख मांगें हैं। वहां के लोग एक ऐसे लोकतंत्र की सथापना करना चाहते हैं जिसमें सबको वोट देने का हक़ हो।

दसरी तरफ़, काहिरा की मुख्य सड़कों पर सेना टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों के साथ इस जन विद्रोह को  कुचलना चाहती है, लेकिन प्रदर्शनकारियों को सेना और सरकार का कोई खौफ़ नहीं।

मालूम हो, मिस्र के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को 1995 में हमारी भारत सरकार ने जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया था। यह पुरस्कार दुनिया के लोगों के बीच अंतरराष्ट्रीय समझ, सद्भावना और मैत्री को बढ़ावा देने के लिए उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है।

दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और विश्व की तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत का यह दायित्व बनता है कि वह है मिस्र में लोकतंत्र बहाली के लिए मिस्र की जनता की मांगों का समर्थन करे ताकि वहां लोकतंत्र की स्थापना की मुहिम को बल मिले। हिंदुस्तान की जनता मिस्र की जनता के साथ है

(2 फरवरी 2011 को दैनिक भास्कर, नई दिल्ली में प्रकाशित)

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