इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट
चाहे दक्षिण, चाहे वाम, जनता को रोटी से काम: नागार्जुन
बाबा नागार्जुन का यह जन्म शताब्दी वर्ष है. आज (17 अप्रैल 2011) राष्ट्रीय सहारा ने रविवारीय उमंग का एक पूरा पन्ना बाबा नागार्जुन की स्मृति को समर्पित किया है. बाबा नागार्जुन जीवन के आखिरी दिनों में जब भी नागार्जुन दिल्ली आते तो सादतपुर में ठहरते थे। यहीं लोगों से मिलते थे, मुलाकात करते थे। अब तो बाबा रहे नहीं लेकिन मुलाकातों की यादें लोगों के मन-मस्तिष्क पर गहरे तौर पर अंकित है। किसी सुबह की मुलाकात को याद कर रहे हैं शशिकांत - उत्तर-पूर्व दिल्ली में एक बस्ती है- सादतपुर। सादतपुर में रहते हैं हिन्दी के कई लेखक और पत्रकार। लेकिन सादतपुर को 'बाबा नागार्जुन नगर' कहा जाता है, क्योंकि यहीं के गली नंबर-2 में रहते थे- मैथिली और हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि-कथाकार बाबा नागार्जुन उर्फ वैद्यनाथ मिश्र 'यात्री'। बाबा ने अपने नवनिर्मित घर का नाम रखा था - 'यात्री निवास'। यात्री निवास यानी पक्की ईटों का बिना पलस्तर का तीन कमरों का एक मंजिला मकान। उसके आगे एक-डेढ़ कट्ठे में बॉडीनुमा आंगन और मरद भर ऊंची-ऊंची चारदीवारी। बिल्कुल गांव के किसी मकान की तरह। स
We want pdf of this book please provide it as soon as possible
जवाब देंहटाएंPlease book provide
हटाएंWe want PDF of this book
जवाब देंहटाएंHa mugha pdf chahiyeq
जवाब देंहटाएंGive me its pdf please
जवाब देंहटाएंकिताब के लिए पचौरी जी से संपर्क करें (दिल्ली में) : 987164 9742
हटाएंPdf
जवाब देंहटाएंकिताब के लिए पचौरी जी से संपर्क करें (दिल्ली में) : 987164 9742
जवाब देंहटाएंSir where is your shop
हटाएंPlss share pdf
जवाब देंहटाएंI want one book
जवाब देंहटाएंPlease give me answer
जवाब देंहटाएंPdf
जवाब देंहटाएंKya mujhe is book ki pdf mil sakti h
जवाब देंहटाएंkys muje book ki pdf mil sakti
जवाब देंहटाएंmujhe chaiya