ये नोटिफिकेशन वापस ले महाराष्ट्र सरकार!

आज 8 जनवरी 2011 को हिंदुस्तान टाइम्स के मुंबई संस्करण में पेज न.-2 पर छपी इस ख़बर को पढ़िए! इस  खबर के अनुसार महाराष्ट्र के डी.जी.पी. डी. शिवानंदन ने एक नोटीफिकेशन जारी किया है.

इस नोटीफिकेशन में महाराष्ट्र के पुलिस थानों को यह आदेश दिया गया है कि वे विधायक या मंत्री द्वारा किए गए किसी फोन या पुलिस स्टेशन में उनके आने का किसी भी प्रकार का कोई ब्यौरा पुलिस डायरी में दर्ज नहीं करेंगे। केवल वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के पुलिस स्टेशन आने की बात ही रिकार्ड में दर्ज की जाएगी।  

यह नोटीफिकेशन 18 नवंम्बर 2010 को जारी किया गया है। इस नोटीफिकेशन को जारी करने के पीछे महाराष्ट्र पुलिस का उद्देश्य राजनीतिज्ञों को पुलिस स्टेशन में आने या फोन पर अपने आदेश जारी करने के कारण होने वाली परेशानियों से बचाना है।

महाराष्ट्र के डी.जी.पी. डी. शिवानंदन के इस नोटीफिकेशनके बाद ऐसे दागी विधायक, सांसद या मंत्री राज्य की क़ानून-व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं. बी.एस.एफ. और उत्तर प्रदेश के पूर्व डी.जी.पी.प्रकाश सिंह कहते हैं, "मैंने भी आज यह ख़बर पढी है. यह महाराष्ट्र सरकार का नोटिफिकेशन है. मेरा मानना है कि कोई भी नेता, विधायक, सांसद या मंत्री का किसी थाने  में यदि ऐसा कोई फ़ोन आता है जिसका संबंध क़ानून-व्यवस्था से है तो उसे पुलिस डायरी में दर्ज किया जाना चाहिए." 

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, बिहार में भाजपा के एक आपराधिक चरित्र के चरित्रहीन विधायक और उसके गुंडे, मवाली, दलाल, माफिया चमचों ने जब एक स्कूल संचालिका और उनकी बेटी के साथ बलात्कार किया और पुलिस व क़ानून के सामने गुहार लगाने के बाद भी जब उस महिला हो न्याय नहीं मिला, उल्टे उसे धमकी दी गई तो उसने जान पर खेलकर उस विधायक की ह्त्या कर दी. 

उत्तर प्रदेश में इसी कुकरम में एक विधायक जेल की सजा भुगत रहा है. उत्तर प्रदेश में ही अमरमणि त्रिपाठी नाम के एक विधायक और कैबिनेट मंत्री ने मधुमिता शुक्ला नाम की एक युवा कवयित्री की 2003 में क्रूरतापूर्वक ह्त्या कर दी थी. बिहार और उत्तर प्रदेश सहित मुल्क़ भर में ऐसे भी बहुत सारे विधायक, सांसद और मंत्री हैं जो कभी और अभी अपने इलाके के छंटे हुए गुंडे, अपराधी, माफिया, भाई, दादा, सरकार वगैरह-वगैरह हैं. 

 
महाराष्ट्र सरकार/डी.जी.पी. के इस नोटिफिकेशन के बाद गुंडा, मवाली, माफिया, दलाल वगैरह से विधायक/सांसद/मंत्री बने नेता महाराष्ट्र की क़ानून-व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं. जनहित के खिलाफ़ है यह नोटिफिकेशन. इसलिए यह महाराष्ट्र सरकार/डी.जी.पी. इस नोटिफिकेशन को तत्काल वापस ले. जय हिंद!!! 

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