कानू सान्याल अब हमारे बीच नहीं रहे : नबारुण भट्टाचार्य ने डॉ. शशिकांत से कहा
भारत में नक्सलवादी आंदोलन के मुखिया कानू सान्याल अब हमारे बीच नहीं रहे। यह एक बहुत ही दुखद संवाद है। ख़ासकर मेरे जेनरेशन के लिए तो यह बहुत ही फ्रस्ट्रेटिंग और ट्रेज़िक संवाद है। हमलोग जब युवा थे तो हमारे बीच कानू सान्याल का बहुत ज़्यादा क्रेज़ था। चारू मजूमदार के साथ मिलकर उन्होंने नक्सलबाड़ी जैसी छोटी जगह से इतना बड़ा मवमेंट खड़ा किया। वे एक बहुत बड़े आर्गनाइजर थे। बहुत अच्छे वक्ता थे। वे नौजवानों को अपनी बातों से बहुत जल्दी प्रभावित कर देते थे। हमारी पीढ़ी उनसे बहुत ज़्यादा प्रभावित हुई थी। आज मेरा कहना है कि उनका जिस तरह निधन हुआ वह निधन नहीं बल्कि हत्या है। किसी क्रांतिकारी की लाइफ़ इस तरह से ख़त्म नहीं होनी चाहिए। हालांकि हम उनकी लाइफ के बारे में ज़्यादा नहीं जानते हैं। पिछले कुछ सालों से वे एकदम अकेले हो गए थे। अपनी लाइफ और आजकल के हालात को देखकर बहुत फ्रस्टेटेड रहते थे। बहुत दिनों से बीमार भी थे। कई तरह के रोग के शिकार थे। उनके बारे में इतना तो हम जानते हैं लेकिन और भी बहुत सी पर्सनल बातें थीं जिनके बारे में हमें नहीं पता। पिछले दिनों मैं सिलीगुड़ी गया था। जब मुझे पता चला ...