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ये इश्क नहीं आसां ...!

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                                                                                      लैला-मजनूं   मित्रो, आज प्रेम दिवस है- वेलेंटाइन्स डे. 'दुनिया में इतनी हैं नफ़रतें..' के बीच कुछ मासूम  दिलोंमें में पनप रही चाहतों का हम सबको ख़ैर मख्दम करना चाहिए, पश्चिम-पूरब की बहस को छोड़कर. प्रेम प्रेम होता है देसी-बिदेसी नहीं...ख़ैर, पिछली साल वेलेंटाइन्स डे पर राजस्थान पत्रिका के लिए लिखा गया यह लेख आपके हवाले कर रहा हूँ. शुक्रिया.  - शशिकांत.    ‘ये इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजै एक आग का दरिया है और डूब के जाना है।’’ मिर्ज़ा असद-उल...