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आम जनता को मिले संविधान की सत्ता : उदय प्रकाश

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उदय प्रकाश साथियो, आज है गणतंत्र दिवस की 63 वीं सालगिरह. हमारे गणतंत्र के समक्ष कई गंभीर चुनौतियाँ हैं. सत्ता-व्यवस्था कार्पोरेट लोकतंत्र की राह पर चल रही है. संविधान द्वारा देश के नागरिकों को दिए गए अधिकार उन्हें नहीं मिल रहे हैं या उनसे छीने जा रहे हैं. चौतरफ़ा फैले भ्रष्टाचार, लूट,  हिंसा वगैरह से मुल्क़ का हर नागरिक परेशान है, और सत्ता व्यवस्था बेखबर. ऐसे भयानक समय में संविधान की सत्ता वापस हिंदुस्तान की जनता को लौटाई ही जानी चाहिए. पेश है विश्वप्रसिद्ध लेखक   उदय प्रकाश   की इन्हीं मसलों पर बेबाक टिप्पणी, 26  जनवरी 2011, दैनिक भास्कर, नई दिल्ली अंक में प्रकाशित.   - शशिकांत      आज सबसे पहले हम यह देखें कि पिछले वर्षों में लोकतंत्र की स्थापना के बाद आजाद भारत में वो क्या है जो बचा रह गया है, और वो किस रूप में आज हमारे सामने है। संविधान कहता है कि लोकतंत्र में सर्वोच्च सत्ता जनता के हाथ में होती है और संसद तथा कार्यपालिका में लोग या तो उसके द्वारा प्रदत्त किए गए अधिकारों के तहत काम करते हैं या जनता के सेवक होते हैं। यानि जनप्रतिनिधियों के पास जो भी संवैधानिक सत्ता है