सबसे बड़ी चिंता असंगठित मजदूर : मजदूर दिवस पर गुरुदास दासगुप्ता ने कहा
आज देश में मजदूरों की हालत बहुत खराब है। कहीं तालाबंदी हो रही है तो कहीं मजदूरों की छंटनी। मजदूरों पर हमले हो रहे हैं। ट्रेड यूनियन के अधिकारों में कटौती की जा रही है। उन पर काम का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। उनसे दस से बारह घंटे काम लिया जा रहा है। कांट्रेक्ट लेबर के रूप में उनका शोषण किया जा रहा है। महिला मजदूरों की हालत और भी दयनीय है। कार्यस्थलों पर उन पर जुल्म किया जाता है। मेटरनिटी की सुविधाएं भी उन्हें नहीं मिलती। शारीरिक शोषण और अत्याचार किए जाते हैं सो अलग। यह सबकुछ आज के परिदृश्य में हम देख रहे हैं। ऐसा माहौल बन गया है कि पूंजीपति आज बिना किसी डर के मजदूरों का शोषण कर रहे हैं। मजदूरों से दिन-रात काम लेकर वे अधिक से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। इतना ही नहीं, हिंदुस्तान में कम पैसे में लेबर मिलेगा और यहां मजदूरों के हित में बने कानूनों को लागू करने की कोई बाध्यता नहीं है, इसलिए विदेशी पूंजीपति धडल्ले से यहां आ रहे हैं। भारत में पूंजीपतियों द्वारा मजदूरों पर जितने हमले आज हो रहे हैं उतने पहले कभी नहीं हुए। लेकिन हमारे देश की सरकार पूंजीपतियों की इस हरकत पर लगाम लगाने के लिए ...